सबूतों के साथ दावा- वुहान लैब से निकला है कोरोना वायरस, पढ़ें विस्तृत रिपोर्ट। ये सनसनीखेज खुलासा एक भारतीय वैज्ञानिक दंपति ने किया है। इस दम्पति ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) पर भी गंभीर आरोप लगाया है। लीक होने की संभावना की जांच के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पर्याप्त शोध नहीं किए। साल 2019 के अंत में कोरोना वायरस ने दुनिया के हर कोने में दस्तक दे दी थी। वर्ष 2020 के शुरुआत में इसने लगभग सभी देशों में अपना पैर पसाराना शुरू कर दिया था। पूरी दुनिया को अभी तक इसे छूटकारा नहीं मिल पाया है। कोविड-19 के जन्म स्थान को चीन माना जाता है। देश के वुहान शहर से मामले आने की शुरुआत हुई थी। यहां तक की नोवल कोरोना वायरस के पीछे चाइना का हाथ भी बताया जा रहा है। हालांकि चीनी सरकार लगातार इससे बचते आ रही है और कोई भी टिपण्णी देने से कतरा रही है।
इस बीच एक भारतीय वैज्ञानिक दंपति ने दावा किया है। उन्होंने कहा कि कोरोना-वायरस वुहान की लैब से ही निकला है, किसी वेट मार्केट से नहीं, जैसा कि चीन दुनिया को बताता है। पुणे के रहने वाले वैज्ञानिक दंपति डॉक्टर राहुल बाहुलिकर और डॉक्टर मोनाली राहलकर ने कहा कि चीन की वुहान लैब से ही कोविड-19 से निकलने के पक्ष में दमदार सुबूत मिले हैं। इन दोनों ने पहले भी ऐसा ही दावा किया था। लेकिन तब इनकी दलीलों को साजिश बताकर खारिज कर दिया गया था। अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने का आदेश दिया है। ऐसे में एक बार फिर यह मामला सुर्खियों में आ गया है।
डॉ. राहलकर ने कहा कि शोध के दौरान उन्होंने पाया कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलोजी ने सार्स-कोव-2 फैमिली के कोरोना वायरस आरएटीजी12 को दक्षिण चीन के यन्नान प्रांत के मोजियांग स्थित एक माइनशाफ्ट से इक्कट्ठा किया था। उस माइनशाफ्ट को साफ करने के लिए छह मजदूरों को भेजा गया था, जहां बड़ी संख्या में चमगादड़ों का घर था। ये मजदूर बाद में न्यूमोनिया जैसी बीमारी से ग्रसित हो गए थे। उन्होंने कहा कि वुहान में डब्ल्यूआइवी और अन्य लैब वायरस पर शोध कर रही थीं। डॉक्टर मोनाली ने कहा कि इसकी संभावना नहीं के बराबर है कि कोरोना वायरस सर्वप्रथम चमगादड़ से किसी इंसान में आया। उसके बाद वहां के वेट मार्केट से चारों तरफ फैला। इसके अलावा वायरस की संरचना कुछ ऐसी है कि यह इंसानों को तुरंत संक्रमित करता है और यह इशारा करता है कि यह किसी लैब से ही आया होगा।
वहीं डॉ. बाहुलिकर ने कहा कि प्रिंट से पहले उनका शोध अध्ययन प्रकाशित हुआ तो सीकर नामक ट्विटर यूजर ने उनसे संपर्क साधा, जो ड्रास्टिक नामक समूह का हिस्सा था। यह इंटरनेट पर जुड़े दुनिया भर के लोगों का समूह है जो कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर ठोस सबूत जुटाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। वैज्ञानिक दंपति ने विश्व स्वास्थ्य संगठन पर भी गंभीर आरोप लगाया है। कहा है कि डब्ल्यूएचओ (WHO) ने कोरोना वायरस के लैब से लीक होने की संभावना की जांच के लिए पर्याप्त शोध नहीं किए।