कोरोना वायरस के कारण जिस स्वास्थ्य संकट से मानव प्रजाति गुजर रही है, उन सब में से सबसे बड़ी चिंताओं में से एक प्रमुख परिणाम बड़ी आबादी के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाला प्रभाव है। सबसे अधिक संभावना, चिंता विकारों और अवसाद (Mental Disorder And Depression) के मामले में बढ़ोतरी अंदेशा है। कोरोना वायरस ने सम्पूर्ण मानव जाति पर अनेक तरह से अपना विपरीत प्रभाव डाला है। न केवल बड़ी संख्या में मौतों के कारण, बल्कि अलगाव की असाधारण परिस्थितियों के कारण भी, जिसमें आबादी के एक बड़े हिस्से को अपने रिश्तेदारों की मृत्यु जैसी भयानक स्थितियों से अकेले ही उबरना पड़ा है। हम यह नहीं भूल सकते कि स्वास्थ्य कर्मी इस लड़ाई में सबसे आगे थे और फ्रंट मोर्चा उन्होंने ही संभाले रखा है। यह अग्रिम मोर्चे पर तैनात योद्धा इस वायरस के सीधे संपर्क में रहे हैं, और संभवतः महामारी के बाद इनका मानसिक स्वास्थ्य सबसे अधिक प्रभावित हुआ होगा।
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अवसाद : एक मस्तिष्क रोग
मानव मस्तिष्क सबसे जटिल जैविक उपकरण है, जो इस ब्रहमांड में मौजूद है। यह लाखों वर्षों के विकास का परिणाम है। यह जटिलता हमें अद्भुत कार्यों और क्षमताओं के साथ संपन्न करती है। हमारी प्रजातियों की बहुत सी विशेषता, जैसे कि भाषा, संस्कृति, कला या विज्ञान। लेकिन यह एक दोधारी तलवार भी है, जो विफल होने पर, विकृति का कारण बनती है जो हमारे व्यवहार में परिवर्तन के रूप में प्रकट होती है। अभी भी कुछ मानसिक रोग मानव जाति को बौद्धिक स्तर पर आगे बढ़ने से रोकती हैं जैसे – Parkinson Disease, Cerebellar Ataxia (पार्किंसंस रोग, अनुमस्तिष्क गतिभंग) अन्य संज्ञानात्मक स्तर पर और अन्य भावनात्मक स्तर पर जैसे Anxiety, डिप्रैशन, चिंता एवं अवसाद।
बहुत से लोग अपने जीवन में किसी ना किसी वक्त पर अवसाद – या प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार (एमडीडी) का अनुभव करते हैं। यह एक गंभीर मानसिक बीमारी है जो लगातार गिरती और बिगड़ती मनोदशा और उदासी, सीमित आत्म-सम्मान और अपराध की भावनाओं से गर्सित विशेषता है। सामान्य गतिविधियों, नींद और खाने के विकार आदि में रुचि और आंनद। के अनुभूति की के कमी के अलावा, सबसे गंभीर मामलों में यह आत्महत्या के विचार और आत्महत्या के प्रयासों जैसे संगीन समस्या को जन्म दे बैठता है।