Abhaya Murder Case Verdict : ये केरल के सबसे सनसनीखेज हत्याओ में से एक और सबसे लंबा चलने वाला केस भी जो कि 28 सालों तक चला। चार बार सीबीआई की टीम और दो बार लोकल क्राइम ब्रांच पुलिस ने मामले की तहकीकात की, पर फिर भी हाथ खाली रहे। इसे हत्या का मामला माना गया पर सबूत न होने के कारण इसे “होमिसाइड” करार देकर केस को बंद कर देने के लिए कहा गया।
ADVERTISEMENT
Abhaya Murder Case Verdict : क्या था मामला
27 मार्च 1992 को सिस्टर अभया सुबह से लापता थी। काफी खोजबीन होने के बाद St. Pius Convent Hostel के परिसर में मौजूद एक कुएं से अभया की लाश मिली। शुरुआती जांच से पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंची कि ये एक सुसाइड का मामला है। मगर क्राइम सीन के इन्वेस्टिगेशन के बाद टीम का मानना था कि, अभया की हत्या हुई है। लेकिन कभी भी जांच कर रही टीम को कोई सबूत नहीं मिला। 30 जनवरी 1993 को केरल के राज्य पुलिस के क्राइम ब्रांच की टीम ने एक रिपोर्ट पेश की, जिसमे इसे फिर से सुसाइड थ्योरी में बदल दिया गया और सिस्टर अभया के मानसिक हालत पर भी सवाल उठाए गए।
17 जुलाई 2008 में एक बार फिर से इस केस (Abhaya Murder Case Verdict) को सीबीआई को सौंपा गया। इस बार सीबीआई टीम के अध्यक्ष एसपी नंदकुमारन नायर थे, जिन्होंने केस स्टडी की। फॉरेंसिक जांच की रिपोर्ट, जिसमें क्राइम सीन का उल्लेख था कि, अंतिम बार जब अभया हॉस्टल के किचन में पानी पीने गई थी, तो सुबह जांच टीम के पहुंचने पर फ्रिज का दरवाजा खुला था। पानी का बॉटल जमीन पर गिरा था और उसका ढक्कन भी खुला हुआ था। बॉटल का पानी पूरे देश पर बिखरा हुआ था। इसके अलावा अभया की एक चप्पल किचन में थी, जबकि दूसरी चप्पल कुएं के पास से बरामद हुई थी।
आम तौर पर जब कोई आत्महत्या के विचार में डूबा होता है, तो हड़बड़ा कर आत्महत्या नहीं करता। नंदकुमार नायर ने जांच में यह भी पाया कि, किचन में रखे कुछ सामान भी अपनी जगह से इधर-उधर थे। इससे यह निष्कर्ष निकला कि, यदि ये एक सुसाइड केस होता तो जब अभया सुसाइड करने के लिए जा रही थी तो इतनी हड़बड़ी में नहीं हो सकती कि वो फ्रिज का गेट खुला छोड़ दे। बॉटल जमीन पर फेंक कर नहीं जाती, ऐसा तभी हुआ जब उसके साथ हाथापाई की गई और इसी क्रम में उसे यहां से खींचकर कुएं तक ले जाया गया।
यही कारण है कि अभया की एक चप्पल किचन में जबकि एक चप्पल कुएं के पास थी। एसपी नंदकुमारन ने संजू पी मैथ्यू का भी बयान दर्ज किया गया जो कि हॉस्टल परिसर के सामने रहते थे। अपने बयान में उन्होने 27 मार्च 1992 की सुबह तड़के फादर कोतूर को हॉस्टल परिसर में देखने का दावा किया था, जो कि एक सामान्य घटना नहीं थी। इस बयान के आधार पर फादर कोतूर और सिस्टर सेफी को गिरफ्तार कर लिया गया और दोनों ने अपना गुनाह कुबूल किया। अब जाके सीबीआई की विशेष अदालत ने इस केस (Abhaya Murder Case Verdict) में 28 साल बाद अपना फैसला सुनाया है और दोनों को दोषी करार दिया है।
ये थी हत्या की वजह, हॉस्टल के अन्य लोगों का दावा था कि सिस्टर सेफी और फादर कोतूर के बीच अवैध संबंध थे। और जिस रात अभया अंतिम बार किचन में गई, उस रात दोनों किचन में मौजूद थे। वहां उनको आपत्तिजनक स्थिति में सिस्टर अभया ने देख लिया, जिसके कारण सिस्टर सेफी ने वहीं पड़ी एक कुल्हाड़ी से अभया पर वार करना शुरू कर दिया। सिस्टर सेफी, अभया के कंधे-कान आदि पर एक के बाद एक वार करती रही।
उसके बाद दोनो ने मिलकर सिस्टर अभया को कुएं में डाल दिया और किचन में पड़े खून के धब्बों को साफ किया। चूँकि, सुबह के 3-4 बजे का समय था तो अंधेरा होने के कारण और किसी के जाग जाने के डर से और चीजों को सही नही कर पाए और अभया की चप्पल भी वहीं रह गई।
ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक एवं फॉलो करें तथा विस्तार से न्यूज़ पढने के लिए हिंदीरिपब्लिक.कॉम विजिट करें।