संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने कहा है कि अब ज्यादा दिनों तक विद्यालयों को बंद रखना उचित नहीं होगा। कोरोना महामारी के बावजूद विशेषज्ञों ने स्कूलों को सुरक्षा के साथ दोबारा खोलने पर बल दिया है। डब्ल्यूएचओ (WHO) के क्षेत्रीय निदेशक ताकेशी कसई और यूनिसेफ (UNICEF) के क्षेत्रीय निदेशक करिन हल्शोफ ने एक संयुक्त लेख में कहा कि स्कूलों को तत्काल खोलने का वक्त आ गया है।
- बच्चों में विद्यालय को लेकर हतोत्साह की भावना घर कर रही है।
- लंबे समय तक स्कूल बंद रहने से समाज-व्यक्ति पर दुष्प्रभाव पड़ेगा।
- शारीरिक गतिविधियों में कमी और तनाव से बच्चों में अवसाद बढ़ रहा है।
- बच्चों की रचनात्मक प्रतिभा घट रही है।
- और घरों में लंबे समय तक बंद रहने से बच्चों में मानसिक तनाव पनप रही है।
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने यह भी कहा कि कोरोना से बच्चों को अधिक खतरा नहीं है। लंबे समय तक स्कूल बंद रहने से बच्चों की सीखने की क्षमता प्रभावित हुयी है और इसमें यह भी कहा गया है कि शिक्षा द्वारा उनके व्यक्तिततव को और बेहतर बनाने की क्षमता भी प्रभावित हुई है। भविष्य के लिहाज से बच्चों का स्कूल गतिविधियों में कमी कि वजह से उत्पन्न मानसिक और शाीरिक तनाव से बचाया जाना बेहद जरूरी है। लंबे समय तक बाहरी दुनिया से कट कर रहने से बच्चों में विशेषकर अवसाद बढ़ रहा है। इसमें कहा गया स्कूल बंद रहने से समाज और व्यक्ति सभी पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है और ऑनलाइन पढ़ाई स्थाई विकल्प नहीं है। इससे बच्चों के मानसिक और शाररिक दोनों क्षमताओं पर बड़ा दुष्प्रभाव पड़ेगा। ऑनलाइन पढ़ाई अधिक समय तक करने से बच्चों में गणितीय दक्षता घट सकती है।
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