एक तरफ जहाँ पूरी दुनिया कोरोना वायरस के कहर से परेशान है, वहीँ पर भारत में एक और नये समस्या ने विकराल रूप ले लिया है। कोरोना वायरस के उपचाराधीन मरीजों में ब्लैक फंगस की समस्या दिन-प्रतिदिन बढती ही जा रही है। अकेले केवल महाराष्ट्र में ब्लैक फंगस के लगभग 7500 केस आ चुके हैं जिनमे से करीब 250 मरीजों की इस संक्रमण से मौत हो चुकी है। गुजरात में लगभग 1100 केस सामने आ चुके है जिनमे से करीब 60 मरीज़ अपनी जान गँवा चुके हैं। मध्य प्रदेश में इस बीमारी के 550 केस सामने आये हैं जिनमे से करीब 30 रोगी अपनी जान गँवा चुके हैं। वर्तमान तक आसाम, तेलंगाना, कर्नाटक, बिहार एवं छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस के सक्रिय केस मौजूद हैं।
आखिर क्या है ये ब्लैक फंगस?
देश के प्रमुख डॉक्टरों के अनुसार ब्लैक फंगस इन्फेक्शन कोई नई बीमारी है। वैसे व्यक्ति जिनकी इम्युनिटी बहुत ही कम है या जो ट्रांसप्लांट करवा चुके हैं, उनमे यह संक्रमण पाया जाता है। हालाँकि, देश में इस से पहले ब्लैक फंगस के इतने मरीज़ नही देखे गये थे जितना की कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देखा गया है। फंगस इन्फेक्शन से जान को खतरा होता ही है और समय पर अगर समुचित इलाज ना मिलने पर मौत की सम्भावना अधिक हो जाती है। ब्लैक फंगस के प्रारंभिक लक्षणों में जुकाम, नाक का बंद हो जाना, नाक से खून आना इत्यादि हैं। समय पर इलाज ना मिलने पर ये फंगस नाक के रास्ते आँख से होते हुए मस्तिष्क में प्रवेश कर जाता है, साथ ही साथ आँखों की रौशनी कम होने लगती है। यहाँ तक की दिखना भी बंद हो जाता है फलस्वरूप मरीज़ बेहोश होने लगता है और इलाज ना मिलने पर मरीज़ की मृत्यु तक हो जाती है।