Danish Siddiqui News : एक अमेरिकी पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी न केवल अफगानिस्तान में एक गोलीबारी में मारा गया था न ही वह केवल Collateral Damage थी, बल्कि तालिबान द्वारा उसकी पहचान की पुष्टि करने के बाद उसकी क्रूरता से हत्या कर दी गई थी। बता दें कि पुरस्कार विजेता पत्रकार कंधार शहर में थे। कंधार के स्पिन बोल्डक में वो अफगान नेशनल आर्मी और तालिबान के बीच जंग की रिपोर्टिंग करते समय मारे गये थे।
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वाशिंगटन एक्जामिनर (Washington Examiner) की रिपोर्ट के अनुसार, सिद्दीकी ने अफगान नेशनल आर्मी टीम के साथ स्पिन बोल्डक क्षेत्र की यात्रा की, ताकि अफगान बलों और तालिबान के बीच लड़ाई को कवर किया जा सके। जब सिद्दीकी की टीम सीमा चौकी के करीब एक किलोमीटर अंदर तक पहुंच गए, तो तालिबान के अचानक हमले ने टीम को अलग-थलग कर दिया।
Danish Siddiqui News : दानिश सिद्दीकी 2018 के पुलित्जर प्राइज विजेता थे
अचानक हुए इस हमले में सिद्दीकी को छर्रे लगे और वह गम्भीर रूप से घायल हो गये। इसके बाद दानिश एवं उनकी टीम एक स्थानीय मस्जिद में गयी, जहां उन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया। हालांकि, जैसे ही यह खबर फैली कि एक पत्रकार मस्जिद में है, तालिबान ने हमला कर दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थानीय जांच से पता चलता है कि तालिबान ने सिद्दीकी की मौजूदगी के कारण ही मस्जिद पर हमला किया था। रिपोर्ट के अनुसार सिद्दीकी जीवित था जब तालिबान ने उसे पकड़ लिया। तालिबान आतंकियों ने पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की पहचान करने के बाद उसे और उसके साथ मौजूद लोगों की भी हत्या कर दी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान का सिद्दीकी (Danish Siddiqui News) को मारने और फिर उसकी लाश को क्षत-विक्षत करने का फैसला दिखाता है कि वे युद्ध के नियमों या वैश्विक समुदाय के व्यवहार को नियंत्रित करने वाले सम्मेलनों का सम्मान नहीं करते हैं। सिद्दीकी ने रोहिंग्या संकट के कवरेज के लिए रॉयटर्स टीम के हिस्से के रूप में 2018 में पुलित्जर पुरस्कार जीता। उन्होंने अफगानिस्तान संघर्ष, हांगकांग विरोध और एशिया, मध्य पूर्व और यूरोप की अन्य प्रमुख घटनाओं को व्यापक रूप से कवर किया था।
बता दें कि सिद्दीकी को जामिया मिलिया इस्लामिया कब्रिस्तान में दफनाया गया था, जहां शोक मनाने वालों का एक समूह उनके अंतिम दर्शन के लिए इकट्ठा हुआ था। उनका पार्थिव शरीर 18 जुलाई की शाम को दिल्ली स्थित इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचा। वहां से उनका पार्थिव शरीर जामिया नगर स्थित उनके आवास पर लाया गया, जहां उनके चाहने वालों की भारी भीड़ जमा हो गई थी।
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