देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले भले ही कम आने ज़रूर शुरू हुए लेकिन उस से हो रही मौतों का आंकड़ा अब भी थमने का नाम नही ले रहा है। भारत में रोजाना लगभग तीन से चार हज़ार मौतें कोरोना से हो रही हैं। इसमें कोई शक नही है कि कोरोना संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है। कोरोना से मरने वालों का अंतिम संस्कार भी बहुत ही सावधानी से किया जाता है। ऐसी स्थिति में ये जानना महत्वपूर्ण है कि क्या कोरोना संक्रमण डेड बॉडी से भी फैल सकता है। मृत बॉडी में कोरोना वायरस कितनी देर तक सक्रिय रह सकता है। क्या अंतिम संस्कार के बाद भी अस्थियाँ और राख सुरक्षित होती भी हैं या नही। भारत के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान (एम्स) ने इन सभी सवालों का जवाब दिया है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में फोरेंसिक विभाग के प्रमुख ने कहा है कि एक संक्रमित व्यक्ति की मौत के 12 से 24 घंटे बाद कोरोना वायरस नेजल एवं ओरल कैविटी में सक्रिय नहीं रहता, जिसके कारण मृतक से संक्रमण का खतरा अधिक नहीं होता है। प्रमुख ने कहा, मौत के बाद 12 से 24 घंटे के अंतराल में लगभग 100 डेड बॉडी की कोरोना वायरस संक्रमण के लिए फिर से जांच की गई थी जिनकी रिपोर्ट नकारात्मक आई।
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पिछले साल एम्स के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग में कोविड-19 पॉजिटिव मेडिकल लीगल मामलों पर एक स्टडी की गयी थी। इन मामलों में पोस्टमॉर्टम किया गया था। उन्होंने कहा कि सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से पार्थिव शरीर से तरल पदार्थ को बाहर आने से रोकने के लिए नाक और मुंह की कैविटी को बंद किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सावधानी के तौर पर ऐसे शवों को संभालने वाले लोगों को मास्क, दस्ताने एवं पीपीई किट जरुर पहननी चाहिए ताकि किसी भी तरह की जोखिम न हो। विभाग प्रमुख ने कहा हड्डियों और राख का संग्रह पूरी तरह से सुरक्षित है क्योंकि इनसे संक्रमण के फैलने का कोई खतरा नहीं है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने मई 2020 में जारी कोविड-19 से हुई मौत के मामलों में मेडिको-लीगल पोस्टमार्टम के लिए मानक दिशा-निर्देशों में सलाह दी थी, कि कोविड-19 से मौत के मामलों में फोरेंसिक पोस्टमार्टम के लिए चीर-फाड़ करने वाली तकनीक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे शवगृह के कर्मचारियों के अत्यधिक सावधानी बरतने के बावजूद, मृतक के शरीर में मौजूद द्रव तथा किसी तरह के द्रव स्राव के संपर्क में आने से इस जानलेवा रोग की चपेट में आने का खतरा अत्यधिक हो सकता है।