मानव शरीर में हिमोग्लोबिन का संतुलन बिगड़ने से विभिन्न प्रकार के बिमारियों का खतरा बढ़ जाता है। सामान्यतः यह देखा गया है कि दैनिक खान-पान में सुधार करने भर से यह समस्या दूर हो जाती है, पर कभी-कभी इसे सही करने के लिए दवाइयों का सहारा भी लेना पड़ता है। हिमोग्लोबिन मुख्यतः प्रोटीनों से निर्मित एक अणु है। इसका मुख्य कार्य होता है फेंफडों से ऑक्सीजन को शरीर के बाकी सभी हिस्सों में पंहुचाना, और शरीर के उन्ही हिस्सों से कार्बन डाइऑक्साइड को लेकर फेंफडों तक पंहुचाना। हमारी हड्डियों के भीतर मौजूद अस्थि मज्जा जिसे बोन मैरो भी कहते हैं, इसी स्थान पर रक्त कणों का निर्माण होता है। एक क्यूबिक मिलीमीटर में करीब 45-50 लाख लाल रक्त कोशिकाएं होती हैं, इन्ही कोशिकाओं के भीतर हिमोग्लोबिन होता है। हिमोग्लोबिन में उपस्थित लौह-कण के कारण ही रक्त लाल रंग का होता है। रक्त में हिमोग्लोबिन कम या ज्यादा होने पर इन लाल रक्त कोशिकाओं के आकर में परिवर्तन होने लगता है फलस्वरूप उनके कार्य प्रणाली पर भी असर होता है।
ADVERTISEMENT
हिमोग्लोबिन का सामान्य स्तर
एक सामान्य एवं स्वस्थ पुरुष में हिमोग्लोबिन की उपस्थिति का औसत स्तर 13.5 से 17.5 ग्राम प्रति डेसीलीटर होना चाहिए वहीं एक स्वस्थ एवं सामान्य महिला में हिमोग्लोबिन का औसत स्तर 12.0 से 15.5 ग्राम प्रति डेसीलीटर हो सकता है। अगर हिमोग्लोबिन का स्तर 6 ग्राम प्रति डेसीलिटर से निचे आ जाता है तो ऐसी स्थिति में अस्पताल में दाखिल कराने से लेके रक्त चढाने तक की नौबत आ जाती है, और समय पर उचित इलाज़ न मिलने की स्थिति में जान भी जा सकती है।
हिमोग्लोबिन स्तर के गिरने के कारण
सामान्यतः 40 वर्ष की आयु के बाद चिकित्सक सालाना एक-दो बार जांच करवाने की सलाह देते हैं। शरीर में पोषक तत्वों की कमी जैसे आयरन, विटामिन,बी-12 और फोलेट की कमी हिमोग्लोबिन के स्तर के गिरने के मुख्य कारण होते हैं। ज्यादा शारीरिक श्रम,डिहाइड्रेशन या जल जाने पर भी इसका स्तर कम होने लगता है। गर्भावस्था के दौरान माता में हिमोग्लोबिन कम हो जाने के कारण गंभीर एनीमिया की स्थिति पैदा हो जाती है।
हिमोग्लोबिन कम होने के लक्षण
हिमोग्लोबिन का स्तर कम होने पर आमतौर पर कमजोरी, चक्कर आना, सांस लेने में कठिनाई, धड़कन का तेज़ हो जाना, सीने में दर्द,सिरदर्द,कानों में अजीब सी आवाजें आना और रंग पीला पड़ना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
क्या शरीर में हिमोग्लोबिन का ज्यादा होना सही है?
आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले और अत्यधिक धुम्रपान करने वालों में हिमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है। इसके अलावा कुछ विशेष प्रकार की दवाइयों के सेवन से भी इसका स्तर बढ़ जाता है।
लक्षण
हिमोग्लोबिन की मात्रा शरीर में बढ़ जाने पर रक्त के थक्के जमने लगते हैं, जो हृदय-घात एवं ब्रेन-स्ट्रोक के मुख्य कारण बन सकते हैं। इसके अलावा जोड़ों एवं हड्डियों में दर्द, सरदर्द, चोट लगने पर अधिक खून बहने जैसी समस्याएं होने लगती हैं।