देश में कोरोना की दूसरी लहर पर धीरे-धीरे काबू पाया जा रहा है। कोरोना के मामलों में कमी आने के बाद अधिकतर राज्यों ने लॉकडाउन जैसी पाबंदियों में छूट देने की घोषणा की है। कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी के साथ-साथ वैक्सीनेशन अभियान भी युद्धस्तर पर जारी है। इन सबके बीच एक्सपर्टों ने लॉकडाउन में नरमी देने पर चिंता जाहिर की है। विशेषज्ञों एवं जानकारों को कोरोना वायरस की तीसरी लहर का डर सता रहा है और इस वजह से ही वह दिसंबर 2021 तक लॉकडाउन जैसी पाबंदियों के पक्ष में हैं। देश के मेजर हॉटस्पॉट ने पिछले कुछ हफ्तों में नीचे का ग्राफ दिखाया है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ये स्थान अभी भी खतरे से बाहर नहीं हैं और लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग के मानदंडों का पालन करना चाहिए। मीडिया से बात करते हुए कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. ओम श्रीवास्तव ने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए यह कहना जल्दबाजी होगी कि मुंबई और महाराष्ट्र अब खतरे से बाहर हैं। उन्हें लगता है कि खतरे की आशंका अब भी कम नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि कई फैक्टर के आधार पर COVID-19 का खतरा जून 2021 और दिसंबर 2021 के बीच या जून 2022 तक भी रह सकता है। उन्होंने आगे कहा कि जब तक राज्य खतरे से बाहर नहीं हो जाते, तब तक कुछ हिस्सों में कठोर पाबंदियां बनी रहनी चाहिए और लोगों को उनका पालन जरुर करना चाहिए।

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मुंबई और महाराष्ट्र के अलावा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी लोगों को COVID-19 प्रतिबंधों का उल्लंघन करते देखा गया। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे तीसरी लहर की आशंका और बढ़ जाएगी। जैसे ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकार ने लॉकडाउन में छूट देने की घोषणा की। इसके बाद हजारों यात्रियों ने मंगलवार को भूमिगत रेलवे स्टेशनों और शॉपिंग मॉल में भीड़ लगा दी। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इससे COVID​​​​-19 संक्रमण के मामले फिर गहरा सकते हैं और एक बार फिर महामारी फैलने की आशंका बढ़ सकती है। विशेषज्ञों और डॉक्टरों ने सुझाव दिया है कि आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने की कवायद टीकाकरण के प्रभाव को बेअसर कर सकती हैं, क्योंकि देश की कुल आबादी में से महज 25 करोड़ लोगों को ही टीका लगाया जा सका है। कुछ डॉक्टरों का कहना है कि दिल्ली को लगभग पूर्ण रूप से फिर से खोलना चिंता का विषय है। हालांकि इसपर दिल्ली सरकार ने कहा कि अगर मामले बढ़ते हैं तो सख्त प्रतिबंध फिर से लगाए जाएंगे।

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